राष्ट्रीय विचारधारा को पुष्ट करने के कार्य में लगे कुछ बन्धुओं ने इस देश की नवोदित पीढ़ी को सुयोग्य शिक्षा और शिक्षा के साथ-साथ अपनी संस्कृति एवं संस्कारो से संस्कारित करने के उद्देश्य से अखिल भारतीय स्तर पर विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की स्थापना हुई। सन् 1952 में सर्वप्रथम गोरखपुर में 5 रू. मासिक किराये के मकान में एक सरस्वती शिशु मन्दिर प्रारम्भ हुआ। कार्य के प्रति समर्पण, लगन और परिश्रम के कारण अन्य स्थानों पर भी विद्यालय प्रारम्भ हुए। कुरूक्षेत्र में गीता विद्यालय परिसर का प्रारम्भ द्वितीय सरसंघ चालक प.पू. माधव सदाशिवराव गोलवलकर ‘श्री गुरूजी’ के करमकलों द्वारा प्रारम्भ हुआ। अन्य प्रान्तों में भी समितियों का गठन हुआ और अनेक विद्या मन्दिर प्रारम्भ हुए। दिल्ली में विद्या भारती का प्रधान कार्यालय बनाया गया। सभी प्रान्तीय समितियां विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान से सम्बद्ध हैं।
“एक विद्यालय-एक सेवा कार्य” विद्या भारती के घोषवाक्य से परिलक्षित होता है। पिछले तीन वर्षों में 2500 से अधिक विद्यालयों का विस्तार किया गया है। हजारों अन्य योजनाओं को आगामी वर्षों में मूर्त रूप प्रदान किया जाना है।